ब्रेन की बाईं नस की सफल एंजियोप्लास्टी कर मरीज को दोबारा लकवे से बचाया
60 वर्षीय पुरुष को शरीर के दाईं ओर पक्षाघात था। उन्हें झांसी में भर्ती कराया गया था। उनके एमआरआई ब्रेन में पता चला की मस्तिष्क की बाईं धमनी (LEFT ICA) बंद हो गई थी।
उसके रिश्तेदारों उसे परामर्श के लिए ग्वालियर के बीआईएमआर हॉस्पिटल लेकर आये जहाँ पर उन्हें बीआईएमआर के डॉ. सौरभ गुप्ता (सीनियर ब्रेन एवं स्ट्रोक स्पेशलिस्ट) ने मरीज को देखा व तुरंत उन्हें Carotid डॉपलर कराने की सलाह दी Carotid डॉपलर में पता लगा Left ICA 100% बंद थी। Right ICA 60% बंद थी। डॉ. सौरभ गुप्ता और उनकी टीम ने ब्रेन एंजियोग्राफी (Cerebra DSA) करने का फैसला किया।
DSA में दिमाग की बाईं नस में 99% ब्लॉक थी. दाईं ICA में 60% ब्लॉक थी.। डॉ. सौरभ गुप्ता और उनकी टीम ने LEFT ICA को Neurointervention Technique se स्टेंट (छल्ला) का फैसला किया ।
प्रक्रिया के दौरान शामिल जोखिम:
1.मस्तिष्क में रक्तस्राव होने की सम्भावना रहती है ।
2.मस्तिष्क धमनी की पूर्ण बंद होने की सम्भावना है ।
3.कार्डियक असिस्टोल की सम्भावना रहती है ।
यह जटिल प्रक्रिया लगभग 1 घंटे में डॉ सौरभ गुप्ता और टीम द्वारा की गई। प्रक्रिया (न्यूरोइंटरवेंशन तकनीक) के दौरान रोगी को सचेत रखा गया और डॉक्टर प्रक्रिया के दौरान रोगी से बात करते रहे।
प्रक्रिया बिना किसी टांके या चीरा के की गई थी। प्रक्रिया के 48 घंटे के भीतर रोगी को छुट्टी दे दी गई।
इस तकनीक से भविष्य में स्ट्रोक होन का जोखिम काफी कम हो जाता है।
पहले ये प्रक्रिया मेट्रो शहरों में संभव थी लेकिन अब बीआईएमआर अस्पताल, ग्वालियर में संभव है।